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संविदा कर्मचारियों को तोहफा, मांग हुई पूरी नियमितीकरण प्रस्ताव पर मुहर लगी जल्द खुशखबरी

Contract Employees Regularization Good News : संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है चुनावी समय में अक्सर देखा जाता है कि राजनीतिक दलों की ओर से कर्मचारियों को नियमित करने वेतन बढ़ाने और विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के वादे किए जाते है लेकिन यह वादे अक्सर अधूरे ही रह जाते है हालांकि इस बार भोपाल नगर निगम ने संविदा कर्मियों के हित में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है अगस्त महीने में निगम ने 1000 से अधिक कर्मचारियों को नियमित करने तथा करीब 8000 सफाई कर्मचारियों को अतिरिक्त सुविधाएं मुहैया कराने का निर्णय किया है इस घोषणा के बाद कर्मचारियों के बीच उत्साह की लहर दौड़ गई है।

Contract Employees Regularization Latest Update

भोपाल नगर निगम के अस्थायी कर्मचारी बीते कई वर्षों से स्थायी नियुक्ति की मांग करते आ रहे थे अपनी मांगों के समर्थन में उन्होंने कई बार प्रदर्शन किए और धरने भी दिए अंततः नगर निगम और सरकार ने उनकी मांगों पर सहमति जताई है हाल ही में हुई परिषद बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किया गया है इसमें ओल्ड अशोक गार्डन का नाम बदलकर रामबाग रखने और हमीदिया कॉलेज एवं अस्पताल का नाम दिवंगत विधायक रमेश शर्मा गुड्डू भैया के नाम पर रखने का निर्णय भी शामिल है इसी बैठक में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत कर लिया गया है इस कदम से लगभग 1000 कर्मचारियों को स्थायी लाभ प्राप्त होने वाला है।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने मांगी 21000 रुपये न्यूनतम वेतन

अगर पूरे प्रदेश की बात की जाए तो करीब 3000 से अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारी अलग अलग सरकारी अस्पतालों में लगातार सेवाएं दे रहे है ये कर्मचारी निजी एजेंसियों की मनमानी और शोषणकारी नीतियों के खिलाफ लंबे समय से आवाज उठा रहे है उनका कहना है कि उन्हें न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया जाए और इसके लिए एक स्थायी नीति लागू की जाए वर्तमान में इन कर्मचारियों को एजेंसियों के जरिए केवल 60 से 70 प्रतिशत वेतन ही प्राप्त हो पा रहा है कर्मचारियों ने सरकार को 10 बिंदुओं वाला ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें मानदेय में बढ़ोतरी वेतन निर्धारण नीति छुट्टी की सुविधा और निष्कासित कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति जैसे विषय शामिल है उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन और आमरण अनशन के रास्ते पर आगे बढ़ सकते है।

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